पपीते की पत्तियों का रस, कीवी फल, नारियल पानी, मच्छरदानी, प्लेटलेट्स काउंट, बुखार, जोड़ों में दर्द और फाॅगिंग। यह कुछ शब्द हैं जो हर साल करीब तीन महीने बेहद खास और बोलचाल में आम हो जाते हैं।
यह तीन महीने होते हैं डेंगू के।
माॅनसून सीजन के शुरु होते ही पूरे भारत समेत एशिया में मच्छरों का आतंक पैर पसार लेता है। अगस्त से अक्टूबर तीन महीने मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया समेत वायरल/बैक्टिरियल इंफेक्शन अपने चरम पर होते हैं।
खासकर डेंगू इस मामले में जानलेवा रुप से हावी हो जाता है। हर साल मच्छरों से बचाव व सावधानी बरतने की तमाम अवेयरनेस फैलाने के बावजूद डेंगू का डंक अकेले भारत में लाखों लोगों को अपना शिकार बना लेता है।
लेकिन क्यों?
आखिर डेंगू से जुड़ी ज्यादातर जानकारी होने और हर साल इससे निपटने के तर्जुबे से मिली सीख के बाद भी हम इसकी चपेट में क्यों और कैसे आ जाते हैं?
हेल्थ काॅर्नर में इस बार जानेंगे हर साल डेंगू कैसे फैलता है क्या है इसकी वजह, बचाव और इलाज।
लेकिन पहले बात मच्छरों की जो दुनिया भर में इंसानों के सबसे बड़े दुश्मन बन रहे और जिनकी वजह से हर साल दुनिया भर में 20 अगस्त को World Mosquito Day मनाना पड़ता है ताकि दुनिया को हर साल मच्छरों से होने वाली जानलेवा बीमारियों से अवेयर किया जा सके।
सांप से सात गुना ज्यादा मौत देते हैं मच्छर
यूँ तो दुनिया भर में इंसानों की मौतों में जीव-जन्तु भी जिम्मेदार होते हैं। इनमें भी सांप के काटने से होने वाली इंसानी मौतों का आंकड़ा बाकी जीव-जानवरों से ज्यादा होता है।
लेकिन शायद आपको विश्वास न हो और आप चैंक जाएं कि दुनिया भर में Snake bite या सांपों के डसने से होने वाली मौतें मच्छरों के डंक मारने से बहुत कम हैं।
World Health Organization के मुताबिक, पूरी दुनिया में हर साल सांप के काटने से लगभग 1.40 लाख मौतें होती हैं। जबकि हर साल मच्छरों की फैलाई जानलेवा बीमारियों से 10 लाख से ज्यादा इंसान दुनिया भर में अपनी जिंदगी गंवा देते हैं। जो कि करीब 7 गुना अधिक है।
इसीलिए अगर मच्छरों को इंसानों के लिए सबसे खतरनाक जीव और सबसे बड़ा दुश्मन माना जाए तो यह कहना गलत न होगा। पूरी दुनिया में मच्छरों के काटने से 10 से ज्यादा घातक बीमारियां फैलती हैं। जिनमें से 4 के बारे में हम मोटा-मोटी जानकारी ले लेते हैं।
मलेरिया
मलेरिया एक खतरनाक बीमारी है जिसे फैलाने के लिए मादा एनाफिलीज मच्छर जिम्मेदार है। हर साल दुनिया भर में मलेरिया के करीब 25 करोड़ से ज्यादा केसेज दर्ज होते हैं।
चिकनगुनिया
भारत में 61 साल पहले 1963 में चिकनगुनिया का पहला केस पाया गया। इसे बैक ब्रेकिंग के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी दुनिया के 110 से अधिक देशों में फैल चुकी है।
जीका
जीका बीमारी जीका वायरस से इंफेक्टेड एडीज मच्छरों से फैलती है। World Health Organization के मुताबिक, जीका वायरस से संक्रमित केवल 5 में से 1 व्यक्ति में ही लक्षण दिखाई देते हैं। इसके लक्षण इतने कॉमन हैं कि बीमारी का अंदाजा लगा पाना मुश्किल हो जाता है।
डेंगू
डेंगू एक तरह का वायरल इंफेक्शन है। जो 100 से ज्यादा देशों में एंडेमिक (वह बीमारी जो लोकल लेवल पर तेजी से फैल रही है) का कारण बनती है। इस बीमारी को फैलाने वाले एडीज एजिप्टी मच्छर हर साल दुनिया भर में करीब 40 करोड़ से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बनाते हैं।
दुनिया भर में मच्छरों की फैलाई बीमारियों में डेंगू सबसे ज्यादा खतरनाक रूप ले चुकी है। भारत में भी मच्छरों ने डेंगू के रूप में ही सबसे ज्यादा कहर बरपाया है।
डेंगू क्या है? What is Dengue?
माॅनसून में बारिश की वजह से हवा में नमी बढ़ने और गड्ढों में पानी जमा होने से वायरस, बैक्टीरिया और मच्छर पनपते हैं। चिकनगुनिया, मलेरिया और डेंगू बीमारी की वजह यह मच्छर और उनकी तेजी से बढ़ती तादाद ही है। बारिश के दिनों में मच्छरों के काटने से सबसे ज्यादा डेंगू के मामले सामने आते हैं।
डेंगू एक वायरल बीमारी है जो संक्रामक है यानि एक से दूसरे में फैलती है। डेंगू बुखार को हड्डी तोड़ बुखार भी कहा जाता है। वजह, यह मसल्स और जोड़ों में दर्द की वजह से हड्डी टूटने जैसा महसूस होता है। डेंगू होने पर ज्यादातर मरीजों में इसके लक्षण 4-7 दिनों में नजर आ जाते हैं।
कई मरीजों में हल्के या कोई लक्षण नहीं दिखते और वे 1-2 हफ्ते में ठीक हो जाते है। कई बार डेंगू से मरीज की हालत बेहद गंभीर हो जाती है। जो जानलेवा भी साबित होती है।
डेंगू कैसे होता है? How Dengue Is Caused?
मलेरिया मादा एनाफिलिज मच्छर से होने वाली बीमारी है। वहीं डेंगू एडीज मच्छर के काटने और वायरस के हेल्दी इंसान के खून में पहुँचने से होता है।
डेंगू का वायरस 4 तरह का Den-1, Den-2, Den-3 और Den-4 होता है। एडीज मच्छर काली धारियों वाला होता है। जुलाई की बारिश में एडीज मच्छरों के अंडों से लार्वा पनपते हैं।
अगस्त से यह लार्वा छोटे मच्छरों में बदलकर घरों के अंदर आसानी से पहुँच जाते हैं। डेंगू मच्छर आर्टिफिशियल लाइट में ज्यादा एक्टिव होते हैं। इसीलिए जिन घरों में सूरज की रोशनी दिन में भी नहीं होती और लाइट जलानी पड़ती हैं वहां यह मच्छर आसानी से दिन में भी काटते हैं।
डेंगू का वायरस इंसान के शरीर में पहुँचने के बाद सबसे पहले प्लेटलेट्स को ही प्रभावित करता है। इससे शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है। अक्टूबर तक डेंगू आतंक अपने चरम पर पहुँच जाता है।
नवंबर से जब तापमान घटने लगता है और 24 डिग्री से नीचे जाता है तो डेंगू मच्छर का लार्वा पनप नहीं पाता और इसके केस कम होने लगते हैं।
डेंगू की बीमारी कैसे फैलती है? How Dengue Is Transmitted?
डेंगू एक संक्रामक बीमारी है यानि यह एक से दूसरे में फैलती है। लेकिन यह डेंगू के मरीज के साथ बैठने या उसके छूने से नहीं फैलती। दरअसल जब डेंगू से पीड़ित मरीज को एडीज मच्छर काटता है तो मच्छर में यह वायरस आ जाता है।
जब यही मच्छर किसी अन्य स्वस्थ इंसान को काटता है तो उसमें डेंगू के वायरस पहुँच जाते है और वह इंसान भी डेंगू की चपेट में आ जाता है।
ज्यादातर डेंगू के मरीजों में इस बीमारी के लक्षण जल्दी नहीं दिखते। ऐसे मरीजों को Asymptomatic dengue infected कहा जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक करीब 40-80 परसेंट डेंगू के मरीज Asymptomatic होते हैं।
जब डेंगू तेजी से फैलता है तो उस दौरान Asymptomatic डेंगू मरीज ज्यादा होते हैं। जिनमे डेंगू के लक्षण नहीं दिखते। यही मरीज डेंगू को तेजी से फ़ैलाने का कारण बन सकते हैं।
आधी दुनिया डेंगू के खतरे में Dengue Fever In World
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन, WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी करीब 3.9 बिलियन लोग डेंगू के खतरे में है। हर साल दुनियाभर में 10-40 करोड़ लोगों कोे डेंगू का इंफेक्शन होता है।
डेंगू सिर्फ भारत में या एशिया में ही नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है। अमेरिका से लेकर यूरोप भी इस खतरनाक बीमारी की चपेट में हैं। WHO के मुताबिक दुनिया के करीब 100 देश ऐसे हैं, जहां डेंगू के केस पाए गए हैं। अफ्रीका, अमेरिका, साउथ ईस्ट एशिया, और वेस्टर्न पेसिफिक रीजन में डेंगू के कई मरीज पाए गए। वहीं ब्राजील, कोलम्बिया, फिजी, और केन्या में भी डेंगू के केसेज मिले हैं।
डेंगू कंट्रोल क्यों नहीं होता? Why Is Dengue Not Curable?
मेडिकल साइंस में इतनी तरक्की के बावजूद डेंगू पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही? क्यों नहीं मच्छरों के आगे दुनिया बेबस साबित हो रही? आखिर क्यों हर साल डेंगू उसी खतरनाक तरीके से सबको अपनी चपेट में ले लेता है?
दरअसल इस सभी सवालों के जवाब को तलाशने के लिए डेंगू पर ही फोकस करना होगा। हर साल डेंगू के लाखों केसेज आने के पीछे कई वजह है। मौसम, पानी का जमाव, लापरवाही और कई बार गरीबी व सुविधाओं का अभाव इसके लिए जिम्मेदार हैं।
वहीं मच्छरों की तादाद रोकने या उनके इलाज में भी हर बार एक ही दवाई काम नहीं करती है। डेंगू एक एंडेमिक बीमारी है। इसके कई टाइप होते हैं और ये हर सीजन में बदलते रहते हैं। जिससे इसके इलाज में दिक्क्त आती है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि डेंगू को कंट्रोल करने के लिए इलाज से ज्यादा इसके बचाव पर ही हमेशा ज्यादा फोकस करना होगा। फिलहाल डेंगू किसी वैक्सीन या दवाओं के इलाज से कंट्रोल होने वाला नहीं।
डेंगू से बचाव का सबसे कारगर तरीका ये है कि मच्छरों की तादाद को बढ़ने से रोका जाए और उनके काटने से खुद को बचाया जाए। सरकार और अन्य संस्थाए डेंगू से बचाव के लिए लोगों को जागरुक करती हैं। लेकिन हर आदमी को अपने लेवल पर भी मच्छरों से बचाव करना होगा।
5 साल में 9.50 लाख डेंगू केसेस
भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की तरफ से नेशनल हेल्थ मिशन के तहत हर साल डेंगू के मरीजों और इससे होने वाली मौतों के आंकड़े जारी किये जाते हैं। नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल देश भर में मच्छरों से होने वाली बीमारियों की रोकथाम और बचाव के लिए जरुरी कदम उठाता है।
नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के आंकड़ों के मुताबिक 2019 से जून 2024 तक 5 साल के दौरान डेंगू के कुल 9,49,722 रजिस्टर्ड केसेस देश भर में दर्ज हुए। 36 राज्यों और यूनियन टेरिटरीज के इन साढ़े नौ लाख डेंगू केसेस में 1,388 लोगों की इस बीमारी से मौत हो गई।
ध्यान देने लायक बात ये है की ये सभी वो आंकड़े हैं जो सरकारी अस्पतालों या कई निजी नर्सिंग होम्स में डेंगू का इलाज कराने पहुंचे रजिस्टर्ड मरीजों से लिए गए। डेंगू से पीड़ित और इससे जान गँवाने वालों की एक बहुत बड़ी तादाद ऐसी रह जाती है जो इन आंकड़ों में दर्ज नहीं हो पाती।
साल रजिस्टर्ड केस डेथ
2019 1,57,315 166
2020 44,585 56
2021 1,93,245 346
2022 2,33,251 303
2023 2,89,235 485
2024 32,091 32 {2024 जून तक}
डेंगू बुखार के लक्षण क्या हैं? Symptoms Of Dengue
डेंगू का सबसे काॅमन लक्षण हैं हड्डियों के टूटने जैसे दर्द वाला तेज बुखार। यही वजह है कि डेंगू के बुखार को आमतौर पर ब्रेक बोन फीवर भी कहा जाता है। इसमें तेज बुखार के साथ मरीज के मसल्स, सिर और जोड़ों में तेज दर्द होता है।
डेंगू का दूसरा लक्षण हैं शरीर पर लाल रैशेज या चकत्ते निकल आना। डेंगू के कई केसेज में मरीज को 2 से 3 दिन बुखार रहने पर उसके हाथ, पैर, पीठ या सीने पर लाल चकत्ते भी आने लगते हैं, जिनमें खुजली भी होती है।
डेंगू के तीसरे लक्षण में मरीज के खून में प्लेटलेट्स और वाइट ब्लड सेल्स की संख्या कम होने लगती है। साथ ही मरीज के नाक, मसूढ़ों या मल से खून आने लगता है। ऐसी हालत में अगर मरीज को इलाज न मिलने पर उसकी मौत भी हो सकती है।
डेंगू का चैथा लक्षण डेंगू शॉक सिंड्रोम या डेंगू हेमरेजिक फीवर कहलाता है। यह डेंगू की बहुत ही सीवियर कंडीशन है। जिसमें मरीज की ब्लड वैसेल्स या खून की नलियां डैमेज हो जाती है और इंटरनल ब्लीडिंग होने लगती है। यह सिचुएशन मरीज के लिए काफी खतरनाक साबित होती है।
डेंगु बुखार से बचाव के तरीके Prevention Of Dengue
भारत समेत कई एशियन कंट्रीज में माॅनसून का समय जुलाई से अक्टूबर तक होता है। इसी सीजन में मच्छरों के पैदा होने व पनपने और डेंगू के केसेज सबसे ज्यादा बढ़ने लगते हैं।
– डेंगू का मच्छर ठहरे हुए पानी में ही अंडे देता है, इसलिए घर के आसपास गमलों, बाल्टियों, पुराने टायरों या छत के कोनों जैसी जगहों पर पानी को रुकने न दें।
– बारिश के समय ऐसी जगहों जहां पानी रुक सकता है वहां की रेगुलर साफ-सफाई करें।
– इसके अलावा मच्छरों को मारने वाली कॉइल या वेपोराइजर का इस्तेमाल करें।
– अपने मोहल्ले व गली की सड़कों पर मौजूद गड्ढों में पानी भर जाने पर उसमें थोड़ा पेट्रोल, डीजल या केरोसिन मिला दें।
डेंगू से जल्द सही होने की डाइट Diet Of Dengue
हम किसी भी बीमारी से जल्दी ठीक होते हैं या बीमार होने से ही बच सकते हैं अगर हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत हो। इम्यून सिस्टम यानि बीमारियों से लड़ने की ताकत।
बीमारियों से बचने व उनसे लड़ने के लिए शरीर के इम्यून सिस्टम का मजबूत होना बेहद जरूरी है। इसलिए डेंगू के मरीज को जल्दी रिकवर होने और हेल्दी होने के लिए पौष्टिक और संतुलित भोजन करना चाहिए। इससे मरीज के शरीर को डेंगू के वायरस से लड़ने की जरुरी ताकत मिलेगी।
डेंगू होने पर आपको विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर फल खाने चाहिए। संतरा, कीवी और नींबू जैसे सिट्रस यानि खट्टे फल विटामिन सी का बेहतरीन सोर्स होते हैं और इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं।
डेंगू के मरीजों की प्लेटलेट्स तेजी से कम होती हैं। आयुर्वेद के मुताबिक डेंगू से पीड़ित मरीज के लिए पपीते की पत्तियां खाना बेहद फायदेमंद है। इनमें एसिटोजेनिन पाया जाता है, जो प्लेटेलेट्स की संख्या तेजी से बढ़ाने में कारगर है।
डेंगू के बुखार में नींब पानी, नारियल पानी और छाछ या लस्सी पी सकते हैं। इससे शरीर हाइड्रेटेड रहता है। जितना हो सके उतना ज्यादा पानी व लिक्विड डाइट लें। कद्दू, पालक, बंदगोभी और चुकंदर जैसी सब्जियां भी प्लेटेलेट्स बढ़ाने में मदद करती हैं।
डेंगू में रखें इन बातों का ख्याल Precautions For Dengue
याद रखें डेंगू के इलाज की कोई दवा नहीं है। न ही डेंगू वायरस को खत्म के लिए कोई भी वैक्सीन बनी है। इसलिए डेंगू से बचने का सबसे कारगर उपाय है मच्छरों के काटने से सुरक्षा। यह पहली शर्त है।
डेंगू कंफर्म होने पर खुद से कोई दवा नहीं लेनी चाहिए। पेनकिलर बिल्कुल न लें। इससे प्लेटलेट्स तेजी से कम होती हैं। डेंगू के लक्षण दिखने पर जांच और डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवा खाएं।
डेंगू के इलाज में प्लेटलेट्स की रेगुलर मॉनिटरिंग करना सबसे जरूरी है। डेंगू फीवर में खून में से प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं। डेढ़ लाख से कम प्लेटलेट्स होने पर शरीर में ब्लीडिंग का खतरा जानलेवा हो सकता है। इसलिए डेंगू के मरीज की सीबीसी जांच जरूर कराएं।
माना जाता है कि प्लेटलेट्स कम होने की वजह से लोगों की मौत होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। बस ये ध्यान रखना होता है कि प्लेटलेट्स जब कम हो, उस दौरान कोई ब्लीडिंग ना हो।
फुल आस्तीन के कपड़े पहने। बच्चों को खासकर पूरी बांह की कमीज़ और फुल पैंट्स पहनाएं। शाम को मच्छर सबसे ज्यादा निकलते हैं इस वक़्त सावधानी बरतें। शाम के समय खिड़की दरवाजे जितना हो सके बंद रखें। मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
आखिर में {In Short}
डेंगू के बारे में जरूरी जानकारी होने के बावजूद हर साल लाखों लोग इस बीमारी के डंक का शिकार बनते हैं। वजह है मच्छरों से बचाव के उपाय में होने वाली लापरवाही। डेंगू से जुड़ी जानकारी और बचाव के तरीकों को गंभीरता से लें।
अगस्त से अक्टूबर तक तीन महीने खास सावधानी बरतें। अपने परिवार, दोस्तों व रिश्तेदारों को भी बार-बार इस बारे में चेताएं। याद रखें डेंगू एक जानलेवा बीमारी हो सकती है। इसलिए बचाव ही इसका सबसे अच्छा इलाज है।
जुलाई से नवम्बर तक किसी भी तरह के बुखार को हलके में न ले। फ़ौरन अपने डॉक्टर से मिले, ज़रूरत पड़ने पर टेस्ट कराएं, डॉक्टर की बताई दवा ही लें। अपने मन से इलाज न करे और न ही इलाज में देरी करें।
डिस्क्लेमर
डियर रीडर्स, इस आर्टिकल में दी गई जानकारी आपको सेहत के लिए अवेयर करने के लिए है। यह तमाम जानकारी कई रिपोर्ट्स पर बनी है। यह किसी भी तरह से कभी भी आपके लिए दवा या इलाज का विकल्प नहीं बन सकती। अपनी फिटनेस और हेल्थ इश्यूज को देखते हुए पहले अपने हेल्थ एक्सपर्ट से कंसल्ट जरूर करें।