माॅनसून।
जितना ही ज्यादा रहता है इसके आने का इंतज़ार, उतना ही खतरनाक होता है सेहत पर इसका वार।
जी हां, बात भले ही rhyme में है पर 16 आने real भी है।
भारत में जून में अपनी दस्तक देने वाला माॅनसून अपने साथ गर्मी से राहत, हरियाली, और खुशनुमा मौसम ही नहीं लाता बल्कि यह गंभीर बीमारियों की एक पूरी फौज भी अपने साथ लेकर चलता है।
ऐसी बीमारियां जो जानलेवा भी होती हैं और हर साल भारत में हजारों की जिंदगी छीन लेती हैं। माॅनसून की बारिश से हवा में नमी बढ़ जाती है और कई जगह पानी भर जाता है।
इससे बहुतेरे बैक्टीरिया व वायरस हमारे माहौल में तेजी से पनपते हैं और इन्फेक्शन फैलने का खतरा भी बढ़ जाता है।
समय रहते अगर माॅनसून के साथ आई इन बीमारियों को पहचान लिया जाए और इनसे बचाव के तरीकों को अपना लिया जाए तो हर साल लाखों लोग इनकी चपेट में आने से बच सकते हैं और हजारों ज़िदगियां भी बचाई जा सकती हैं।
तो इस बार निवेश गंगा में Health Alert! मॉनसून में होती है 12 बीमारियों की बारिश! कैसे रहें सेफ? पर कई सारी अहम् जानकारियां।
साथ ही इन 12 बीमारियों के माॅनसून में फैलने की वजह क्या है, इनसे कैसे बचा जा सकता है और इनका इलाज क्या है? इस पर भी important टिप्स।
लेकिन पहले यह भी जान लेते हैं कि माॅनसून में जिन 12 बीमारियों की चपेट में आने का खतरा रहता है आखि़र उनकी 3 बड़ी वजह क्या हैं?
माॅनसून में बीमारियां फैलने के 3 बड़े कारण – Monsoon Diseases
1. खराब प्रदूषित पानी
भारत में माॅनसून में भारी बारिश के चलतेे नाले और सीवेज ओवरफ्लो हो जाते हैं। यह गंदा खराब पानी अक्सर पीने के पानी की पाइप लाइन से मिल जाता है। जिसके इस्तेमाल के बाद हेपेटाइटिस ‘ए ‘ और ‘ई’ जैसी पानी से होने वाली (वॉटर बाॅर्न डिजीज) गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
2. खराब खाना {Contaminated Food}
खराब पानी के इस्तेमाल से तैयार होने वाला खाना भी सेहत के लिए खतरनाक हो जाता है। बैक्टीरिया व वायरस के ऐसे भोजन पर पनपने से यह काॅन्टामिनिटेड या संदूषित हो जाता है।
3. इम्यून सिस्टम कमज़ोर होना
बीमारियों से लड़ने की हमारी शक्ति इम्यूनिटी कहलाती है। माॅनसून का मौसम हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली यानि इम्यून सिस्टम को भी कमजोर करता है। जिससे हम इंफेक्शन के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं और आसानी से इनकी चपेट में आते हैं।
बारिश में होने वाली 12 बीमारियां
Monsoon Diseases/ Monsoon Season Precaution
1. हैजा (Cholera)
वजह- यह एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जो विब्रियो कोलेरा [Vibrio cholera] बैक्टीरिया से होता है। यह बैक्टीरिया काॅन्टामिनिटेड वाॅटर (दूषित पानी) या भोजन से इंसानों में फैलता है। माॅनसून में यह इंफेक्शन ज्यादा फैलता है क्योंकि इस समय पानी जल्दी दूषित (contaminated) हो जाता है।
इलाज- हैजा होने पर सबसे पहले मरीज को ORS (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) दिया जाता है ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। जरूरत पड़ने पर ड्रिप और एंटीबायोटिक दी जाती है।
ऐसे करें बचाव- हमेशा उबला हुआ या फिल्टर किया हुआ पानी ही पिएं। बाहर का खुला खाना कभी न खाएं। खाने-पीने की चीजों पर मक्ख्यिों को न बैठने दें। साफ-सफाई का खास ख्याल रखें।
2. टाइफाइड [Typhoid]
वजह– यह बीमारी साल्मोनेला टाइफी नाम के बैक्टीरिया से होती है, जो दूषित (contaminated) पानी और खाना खाने से शरीर में पहुंचता है।
इलाज– इसमें एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं। इसमें पूरा कोर्स करना बहुत जरूरी होता है, वरना ये दोबारा हो सकता है।
ऐसे करें बचाव- उबला हुआ या फिल्टर्ड पानी पिएं। खाने से पहले और टॉयलेट के बाद हाथ जरूर धोएं। बाहर का खाना खाने से बचें। जरूरी हो तो टाइफाइड की वैक्सीन भी लगवा सकते हैं।
3. दस्त (Diarrhea)
वजह- इसमें गंदे पानी या दूषित भोजन (contaminated food) से पेट में इन्फेक्शन हो जाता है। यह बीमारी बच्चों को जल्द अपनी चपेट में लेती है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन WHO के मुताबिक दुनिया भर में 5 साल की उम्र से कम के 4.50 लाख से ज्यादा बच्चे दस्त से अपनी जान गँवा देते हैं। वहीं 5 साल से 9 साल की उम्र के करीब 56 हज़ार बच्चों की ज़िंदगी भी हर साल ये बीमारी छीन लेती है।
इलाज- इसका मुख्य इलाज शरीर में पानी की कमी को पूरा करना है। इसके लिए ORS के साथ खूब पानी पिएं। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह लें।
ऐसे करें बचाव- हमेशा साफ पानी ही पिएं। खाने से पहले और टाॅयलेट के बाद हाथ जरूर धोएं। साफ-सफाई का बहुत ध्यान रखें।
4. पीलिया (Jaundice)
वजह- अक्सर दूषित भोजन (काॅन्टामिनिटेड फूड) और पानी से पीलिया, खासकर हेपेटाइटिस ए और ई, ज्यादा फैलता है। नमी और रुका हुआ पानी बैक्टीरिया और वायरस के लिए पनपने का माहौल बनाता है जो इन इंफेक्शन का कारण बनते हैं।
इलाज- पीलिया के इलाज में नाॅमर्ली दवाइयों का उपयोग किया जाता है जो मरीज के लिवर की वर्किंग को बेहतर बनाने में मदद करती हैं। अगर पीलिया हैपेटाइटिस इंफेक्शन की वजह से है तो एंटीवायरल दवाएं दी जाती हैं।
ऐसे करें बचाव- साफ फिल्टर का पानी, साफ खाना खाने और पर्सनल हाइजिन पर ध्यान दें। इसके अलावा पानी से होने वाली बीमारियों के बढ़ते रिस्क के लिए अलर्ट रहें। जरूरत पड़ने पर हेपेटाइटिस ए की वैक्सीन डाॅक्टर से कंसल्ट करने के बाद लगवा सकते हैं।
5. कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis)
वजह- यह आंखों में होने वाला वायरल या बैक्टीरियल इन्फेक्शन है। माॅनसून में नमी ज्यादा होने से यह बहुत तेजी से एक से दूसरे में फैलता है।
इलाज- डॉक्टर इसके इलाज में आई ड्रॉप्स प्रिस्क्राइब करते हैं।
ऐसे करें बचाव- आंखों को बार-बार न छुएं। अपने तौलिए और रूमाल किसी और के साथ शेयर न करें। कंजंक्टिवाइटिस से पीड़ित इंसान के संपर्क में आने से बचें।
6. पेट का फ्लू
वजह- यह एक वायरल इन्फेक्शन है, जो दूषित भोजन और पानी से फैलता है।
इलाज- इसका इलाज शरीर में पानी की कमी को पूरा करके किया जाता है। मरीज को आसानी से पचने वाला खाना खाना चाहिए। जरूरत पड़ने पर डाॅक्टर की सलाह पर दवाएं ली जानी चाहिए।
मॉनसून में खाना पचाने की ताकत यानि मेटाबॉलिज़्म भी कमज़ोर पड़ जाता है। ऐसे में मेटाबॉलिज़्म मजबूत करने के लिए हम सभी को ये 11 असरदार तरीके ज़रूर आज़माने चाहिए।
ऐसे करें बचाव- हमेशा साफ पानी ही पिएं। ताज़ा और अच्छे से पका हुआ खाना खाएं। खाने से पहले और शौच के बाद हाथ धोएं।
7. मलेरिया
वजह- मलेरिया, मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है। जो मादा एनोफिलीज़ (Anopheles) मच्छर के काटने से होती है। यह मच्छर पानी जमा होने वाली जगहों पर अपनी तादाद बढ़ता है। इसलिए माॅनसून के मौसम में मलेरिया ज्यादा होता है।
इलाज- तेज कंपकपी के साथ बुखार आना इस बीमारी की पहचान है। इसका इलाज एंटीमलेरियल दवाओं से होता है। इसमें खूब पानी पीना और आराम करना जरूरी है।
ऐसे करें बचाव- मच्छरों से हर हाल में बचें। अपने आसपास सफाई रखें और कहीं भी पानी न जमा होने दें। बच्चों को पूरे कपड़े पहनाएं। सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
8. डेंगू
वजह- यह भी मच्छरों के काटने से होने वाला एक वायरल बुखार है, जो हर साल आधा माॅनसून बीतने से लेकर सर्दी की शुरुआत तक तेजी से लोगों को अपना शिकार बनाता है।
डरावनी बात ये है कि पूरी दुनिया में सांप के काटने से भी 7 गुना ज्यादा मौतें मच्छरों के काटने से होती है।
यह इंफेक्टेड एडीस एजिप्टी (Aedes aegypti) मच्छरों के काटने से होता है। यह मच्छर ठहरे और साफ पानी में पनपता है। माॅनसून में यह ज्यादा फैलता है क्योंकि इस मौसम में जगह-जगह पानी जमा होता हैं।
इलाज- इसका कोई सीधा इलाज नहीं है। इसमें बुखार, दर्द और अन्य लक्षणों को कम करने वाली दवाएं दी जाती हैं। साथ ही खूब पानी पीने और आराम करने की सलाह दी जाती है।
ऐसे करें बचाव- मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। घर के आसपास पानी न जमा होने दें। खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगवाएं।
9. चिकनगुनिया
वजह- ये वायरल बुखार एडीस अल्बोपिक्टस (Aedes albopictus) नामक मच्छरों के काटने से फैलता है, जो कूलर, पौधों के गमलों, बर्तनों और पानी की पाइपों में ठहरे हुए पानी में पैदा होते हैं।
इलाज- इसका भी कोई खास इलाज नहीं है। इसमें दर्द और बुखार कम करने वाली दवाएं दी जाती हैं। साथ ही पर्याप्त आराम और खूब पानी पीने की सलाह दी जाती है।
ऐसे करें बचाव- आस पास रुके हुए पानी के जमाव को साफ करें, मच्छरों से बचें। इसके लिए मच्छरदानी और मच्छरों से बचाने वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें।
10. वायरल फीवर
वजह- माॅनसून में कई तरह के वायरस ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं। ऐसे में किसी इंफेक्टेड इंसान के संपर्क में आने से वायरल फीवर हो सकता है।
इलाज– इसका कोई खास इलाज नहीं है। इसमें बुखार और शरीर दर्द कम करने वाली दवाएं दी जाती हैं। आराम करना और खूब पानी पीना जरूरी है।
ऐसे करें बचाव- बीमार लोगों से दूरी बनाए रखें। खांसते और छींकते समय मुंह और नाक ढकें। अपने हाथ बार-बार धोएं। भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनें।
11. लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis)
वजह- यह एक बहुत ही रेयर बैक्टीरियल इन्फेक्शन है। जो लेप्टोस्पाइरा बैक्टीरिया के जानवरों से इंसानों में यूरिन के ज़रिये फैलता है। मॉनसून के दौरान, skin में पानी जमा होने की संभावना के कारण यह इन्फेक्शन हो सकता है। लेप्टोस्पायरोसिस अक्सर हल्का होता है, लेकिन 5 से 20% मामलों में यह kidney failure या death का कारण भी बन सकता है।
इलाज- लेप्टोस्पायरोसिस का हल्का असर अमूमन खुद सही हो जाता है। मगर सीवियर कंडीशन में एंटीबायोटिक दवाएं ही इलाज में दी जाती हैं। डॉक्टर से कंसल्ट करने के बाद ही दवाएं और इलाज की प्रोसेस पूरी करें।
ऐसे करें बचाव- लेप्टोस्पाइरा के संपर्क में आने वाले लोगों को दस्ताने, काले चश्मे और जूते पहनने की सलाह दी जाती है । अगर आपको कोई खुला घाव या कट लगा है, तो इस बीमारी या अन्य इन्फेक्शन से बचने के लिए उसे ढकना बेहतर है। ताज़े पानी में तैरने से बचना भी ज़रूरी है, खासकर भारी बारिश के बाद।
12. इन्फ्लुएंजा (Flu)
वजह- यह एक वायरल बुखार है, जो खांसी-जुकाम वाले मरीजों के संपर्क में आने से फैलता है। माॅनसून में इसका असर बढ़ जाता है।
इलाज- फ्लू के इलाज में डाॅक्टर बहुत आराम करने, खूब पानी पीने व लिक्विड डाइट की सलाह देते हैं। जरूरी होने पर मरीज को बुखार व दर्द कम करने वाली दवाएं दी जा सकती हैं। लेकिन डाॅक्टरी सलाह के बाद ही।
ऐसे करें बचाव– फ्लू की वैक्सीन लगवाएं। फ्लू से बीमार लोगों से दूरी बनाए रखें। खांसते और छींकते समय मुंह और नाक ढकें। हाथों को बार-बार धोएं।
Monsoon में बीमारियों से बचने के लिए 10 Tips
माॅनसून से जुड़े 4 सवाल
Monsoon Season Important Points
1 सवाल- माॅनसून में किन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है?
जवाब- बारिश के मौसम में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, लेप्टोस्पायरोसिस, टाइफाइड, हैजा, डायरिया, पेट का फ्लू, कंजंक्टिवाइटिस और वायरल बुखार जैसी बीमारियां आम हो जाती हैं।
2 सवाल- माॅनसून के समय इन्फेक्शियस डिजीज के मामले क्यों बढ़ते हैं?
जवाब- माॅनसून में नमी और जगह-जगह जमा पानी वायरस और बैक्टीरिया के पनपने के लिए फेवरेबल माहौल बनाते हैं। इससे इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
3 सवाल- किन लोगों को माॅनसून डिजीज का खतरा होता है?
जवाब- छोटे बच्चे, बुजुर्ग, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग और गंदगी वाले इलाकों में रहने वाले लोगों को माॅनसून की बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा होता है। प्रेग्नेंट व ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओें को भी इस सीजन में खतरा रहता है।
4 सवाल- क्या माॅनसून की बीमारियों के लिए कोई खास वैक्सीन भी है?
जवाब- हां, टाइफाइड और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों के लिए वैक्सीन हैं। फ्लू की वैक्सीन भी माॅनसून के दौरान होने वाले रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम्स यानि सांस से जुड़ी दिक्कतों से बचाने में मदद कर सकता है।
डिस्क्लेमर
डियर रीडर्स, इस आर्टिकल में दी गई जानकारी आपको सेहत के लिए अवेयर करने के लिए है। यह तमाम जानकारी कई रिपोर्ट्स पर बनी है। यह किसी भी तरह से कभी भी आपके लिए दवा या इलाज का विकल्प नहीं बन सकती। अपनी फिटनेस और हेल्थ इश्यूज को देखते हुए पहले अपने हेल्थ एक्सपर्ट से कंसल्ट जरूर करें।