Monsoon में स्लो मेटाबाॅलिज्म: आप पर 6 हेल्थ प्रॉब्लम का खतरा

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माॅनसून अपने साथ सिर्फ बारिश की खुशी, मिट्टी की सोंधी खुशबू, हरियाली और खाने के शौकीनों के लिए ढेर सारे Snacks ही नहीं लाता।
यह अपने पिटारे में हमारे आपके लिए कई दुश्वारियां और बीमारियां भी भर-भर कर लाता है।

सबसे पहला बुरा असर जो माॅनसून का हमारी सेहत पर पड़ता है, वह है हमारा Metabolism को धीमा कर देना।

जैसे-जैसे माॅनसून सीजन में ह्यूमिडिटी और नमी का लेवल बढ़ता है, हमारी मेटाबाॅलिज्म की दर गिरती है, जिससे हमारे शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होती जाती है।

धीमे मेटाबाॅलिज्म का मतलब यह भी है कि हमारा Digestive System भोजन को सही से पचाने और आंतो के जरिए सोखने में कम असरदार होता है।

इसका सीधा असर कब्ज होना, पेट फूलना, अपच, एसिडिटी और दस्त जैसी पेट की दिक्कतों के रूप में दिखता है। जो आखिर में माॅनसून के आने की खुशी को फीका कर देता है।

माॅनसून के आते ही अगर आपको पेट से जुड़ी इन बीमारियों से बचना हैं तो अपना मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के तरीकों पर आपको बहुत ज्यादा ध्यान देना होगा।

निवेश गंगा के हेल्थ काॅर्नर में हम यह सीखेंगे कि मेटाबॉलिज्म रेट अखिर क्या है? यह कैसे काम करता है? साथ ही जानेंगे अपने शरीर में हम मेटाबॉलिक रेट और अपनी Immunity को कैसे बढ़ा सकते हैं?

जिससे कि माॅनसून सीजन में आप खराब होते डाइजेशन की समस्या को समय रहते दुरुस्त कर हेल्दी बने रहें और माॅनसून का पूरा मजा लें।

तो तैयार हैं आप! अपने पेट की सलामती के लिए? चलिए शुरू करें।

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क्या है मेटाबाॅलिज्म? कैसे करता है काम?

मेटाबाॅलिज्म जिसे  हिन्दी में चयापचय कहा जाता है दरअसल शरीर के अंदर की एक प्रोसेस है। जब आप भोजन करते हैं तो आपके शरीर को इस भोजन से Calories मिलती है।

कैलोरीज असल में ऊर्जा या एनर्जी की एक माप या यूनिट है। जिसमें ऊर्जा मापी जाती है। जैसे कपड़े को मीटर में, पानी को लीटर में, पनीर को ग्राम में और अपने घर की बिजली को किलो वाट में आप नापते हैं।

ठीक वैसे ही। हर खाने की चीज में कैलोरीज होती है। तो जब आपने लंच कर लिया तो आपकी बाॅडी इस भोजन को पचाती है। जिसे डाइजेशन या पाचन कहते हैं।

इस प्रोसेस में भोजन टूटता है और कैलोरीज पैदा करता है। फिर आप जो भी काम करें, उसे करने के लिए यह कैलोरीज यानि ऊर्जा को खर्च करता है।

जब मेटाबाॅलिज्म रेट स्लो होता है तो शरीर कम कैलौरी बनाता है और इस वजह से फैट या वसा आपकी बाॅडी में ज्यादा जमा होने लगती है।

मेटाबाॅलिज्म क्यों हैं इतना जरूरी? – ये शरीर का इंजन है

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मेटाबाॅलिज्म का आपके शरीर में वही रोल है जो किसी बाइक या कार में इंजन का। इंजन में फ्यूल पहुंचेगा तो जलेगा और ऊर्जा पैदा करेगा जिससे गाड़ी चलेगी।

ठीक वैसे ही आपके शरीर को चलाए रखने के लिए मेटाबाॅलिज्म भोजन यानि फ्यूल से ऊर्जा पैदा करता है।

आपका मेटाबाॅलिज्म चैबीसों घंटे काम करता है। यहाँ तक कि जब आप आराम कर रहे होते हैं या सो रहे होते हैं, तब भी यह आपके खाए गए भोजन और इसके पोषक तत्वों से लगातार कैलोरीज बना रहा होता है।

इसी ऊर्जा से आपके शरीर को सांस लेने और शरीर में खून का संचार करने की ताकत मिलती है।

साथ ही नई कोशिकाओं को विकसित करने, कोशिकाओं की टूटफूट पर उन्हे रिपेयर करने और जिंदा रहने के लिए जरूरी सभी काम के लिए ऊर्जा आपका यह मेटाबाॅलिज्म ही देता है।

आखिर क्यों होती है मेटाबाॅलिज्म Rate Slow

Normally उम्र बढ़ने के साथ ही हमारा मेटाबाॅलिज्म रेट भी स्लो पड़ने लगता है। उम्र बढने के साथ फिजिकल एक्टिविटी कम होने लगती है। जिससे हमारी मसल्स घटने लगती है।

मसल्स या मांसपेशियों के कम होने से मेटाबाॅलिज्म रेट भी धीमा या कम होने लगता है। इसीलिए Health Experts बढ़ती उम्र के साथ भी शारीरिक रूप से एक्टिव रहने और हल्के वजन उठाने वाली कसरत करने की सलाह देते हैं।

जिससे शरीर में मसल्स बनी रहे और मेटाबाॅलिज्म रेट भी लंबे समय तक बेहतर बना रहे। लेकिन माॅनसून सीजन में क्यों सभी का मेटाबाॅलिज्म रेट या भोजन पचाने की शक्ति कमजोर होने लगती है?

दरअसल तेज गर्मी के बाद माॅनसून सीजन में बारिश की वजह से एनवाॅयरमेंट में नमी की मात्रा बहुत बढ़ जाती है।

इस सीजन में कभी बारिश और कभी तेज धूप का मौसम बना रहता है। ऐसे में हमारा शरीर तापमान के इस अंतर को और बहुत ज्यादा ह्यूमिड या नमी के चलते खुद को फिट रखने में दिक्कत महसूस करता है।

यही आपके हमारे मेटाबाॅलिज्म को धीमा करने की वजह बनता है। धीमे चयापचय या मेटाबाॅलिज्म का मतलब है कि शरीर भोजन को उतनी काबिलियत से ऊर्जा में नहीं बदल सकता जितना उसे करना चाहिए।

इससे वजन बढ़ना, थकान और सेहत से जुड़ी अन्स समस्याएं होने लगती हैं। जबकि तेज या हाई मेटाबाॅलिज्म रेट आपको वजन कम करने, ज्यादा एनर्जेटिक महसूस करने और बेहतर सेहत वाली जिंदगी का मजा लेने में मदद करता है।

6 दिक्कतें जो Slow मेटाबाॅलिज्म से होंगी

जब आपका मेटाबॉलिज्म स्लो होने लगता है, तो आपको बहुत सी शारीरिक दिक्कतें हो सकती हैं। जिनमें से 6 समस्याएं खास तौर पर जल्द नजर आती हैं।

1. सर्दी महसूस होना

माॅनसून में स्लो मेटाबॉलिज्म के कारण शरीर में जरूरी गर्मी की कमी हो जाती है। जिसकी वजह से सामान्य नमी वाले मौसम में भी ज्यादा ठंड महसूस होने लगती है।

वजह, स्लो मेटाबॉलिज्म की वजह से आपका शरीर में सही मात्रा में जरूरी ऊर्जा नहीं बन पाता है। इस वजह से आपका शरीर गर्मी पैदा कर अपना नाॅर्मल टेंपरेचर 37 डिग्री सेल्सियस बनाए रखने की क्षमता कम कर सकता है।

2. लगातार बढ़ता वजन

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माॅनसून सीजन में कुछ लोगों का वजन अचानक से लगातार बढ़ने लगता है। ज्यादातर लोग न तो इसे नोटिस करते हैं और न ही इसका कारण समझ पाते हैं।

लेकिन माॅनसून के दौरान वनज बढ़ना स्लो मेटाबॉलिज्म के लक्षणों में से एक है। याद रखें जब भी आप डाइट और खान-पान में कोई बदलाव नहीं कर रहे, फिर भी वजन तेजी से बढ़े, तो उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।

3. कब्ज की बढ़ती परेशानी

आपको अगर माॅनसून सीजन में अचानक ही कब्ज की दिक्कत ज्यादा महसूस होने लगे तो अलर्ट हो जाएं। कब्ज या Constipation भी स्लो मेटाबॉलिज्म का एक संकेत हो सकता है।

जब आपके शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट धीमा होता है, तो आपके डायजेशन पर भी बुरा असर पड़ता है। जिससे पेट में दर्द, गैस और एसिडिटी भी सकती है।

4. Skin Dry होना

कई लोगों की स्किन माॅनसून में सूखी और पपड़ीदार हो जाती है। इसकी वजह भी मेटाबॉलिज्म रेट स्लो होना है। स्लो मेटाबाॅलिज्म में आपकी स्किन की सेल्स या कोशिकाएं भी बेहतर ढंग से काम नहीं करतीं।

इसकी वजह से स्किन सेल्स में ब्लड सप्लाई बेहतर तरीके से नहीं हो पाता और आपकी स्किन Vital Nutrients (जरूरी पोषण) पाने में नाकाम हो जाती है और dry होने लगती है।

5. तेजी से Hair Loss होना

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यूं तो बालों का गिरना कई बीमारियों की वजह से होता है। लेकिन कुछ लोगों में स्लो मेटाबॉलिज्म की वजह से हेयर लॉस होन लगता है। ज्यादातर केसेज में लोग कभी इसका कारण समझ नहीं पाते हैं।

मेटाबॉलिज्म का धीमा होना आपके शरीर में न्यूट्रिशन की मात्रा को बुरी तरह प्रभावित करता है। इसी की वजह से आपके बालों की सेहत पर नेगेटिव असर पर भी पड़ सकता है।

6. Sexual इंटीमेसी में गिरावट

कपल्स की Sexual इंटिमेसी और सेक्स ड्राइव का सीधा कनेक्शन हेल्दी फूड और अच्छे डाइजेशन से भी जुड़ा है। मेटाबाॅलिज्म रेट स्लो होने पर डाइजेशन कमजोर पड़ने लगता है।

इससे अपच, गैस, और वेटगेन की दिक्कत आती है। इस वजह से शरीर में एनर्जी और स्फूर्ति की कमी आती है और सेक्स ड्राइव बुरी तरह प्रभावित होती है।

साथ ही स्लो मेटाबाॅलिज्म शरीर में कई हाॅर्मोनल चेजेंस भी ले आता है जो कपल्स में सेक्शुअल desires व इंटिमेसी को भी कम करता है।

मेटाबाॅलिज्म को बेहतर बनाने के 11 असरदार तरीके

अगर आपने यह पोस्ट यहां तक पढ़ ली है तो आपकी अवेयरनेस और लर्निंग स्किल को बधाई। अब आप जान गए हैं कि आखिर मेटाबॉलिज्म रेट क्या है और इसकी कमजोरी आपको कितनी दिक्कतें देती है।

अब जानेंगे कि माॅनसून के दौरान आप अपने शरीर में मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ाने और हेल्दी बने रहने के लिए कौन से 11 असरदार तरीकेे जरूर अपनाएं।

1. Hydrated रहें, पानी खूब पीएं

माॅनसून के दौरान, खूब सारा पानी और लिक्विड इनटेक जैसे ग्रीन टी पीएं। क्योंकि हाई ह्यूमिडिटी के कारण हमें पसीना ज्यादा आता है।

इससे शरीर डिहाइड्रेट होने लगता है यानि पानी की कमी हो जाती है और हम वायरल-बैक्टिरियल इंफ्ेक्शन के निशाने पर जल्द आते हैं।

2. खाने में Fiber Intake बढ़ाएँ

अपने खाने में हल्के रेशेदार अनाज का सेवन बढ़ाएँ। इनमें फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, जो हमारे पेट और आंतों को साफ रखने में मदद करते हैं।

रेशेदार या फाइबर वाला भोजना माॅनसून के दौरान मेटाबॉलिक रेट बढ़ाने में भी हमारी मदद करता है।

3. तले-भुने खाने से बनाएं दूरी

माॅनसून की हर बारिश पकौड़े, समोसे और फ्राइड स्नैक्स के लिए हमारी दीवानगी बढ़ा देती है। लेकिन आपको तले हुए भोजन से दूरी बनानी चाहिए।  माॅनसून में तली-भुनी चीजें आपके मेटाबाॅलिज्म रेट को धीमा करते हैं और इन्हें पचाने में मुश्किल होती है।

फिर भी अगर आप माॅनसून में स्नैक्स का मजा लेना चाहें तो सरसों या तिल जैसे भारी तेलों के बजाय मकई का तेल या आॅलिव आॅयल का ही यूज करें।

4. नेचुरल Immune Booster का इस्तेमाल

नीम, हल्दी पाउडर और मेथी के बीज जैसी जड़ी-बूटियाँ मेटाबाॅलिज्म रेट को बढ़ाती हैं। साथ ही यह नेचुरल एंटीबायोटिक के रूप में आपके डाइजेशन और इम्यूनिटी में सुधार करती हैं।

5. Protein खाएं और वजन उठाएं

अपने भोजन में प्रोटीन डाइट जैसे सोयाबीन, पनीर, मूंगफली, अंडे, फिश और मीट को बढ़ाएं। भोजन में पर्याप्त प्रोटीन लेेने और डेली वर्कआउट में वजन उठाने वाली कसरतें शामिल करने से आपके मसल्स बढ़ती हैं। इससे मेटाबाॅलिज्म भी बढ़ सकता है।

6. ध्यान दें आप क्या खा रहे

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अपने डाइजेशन को आसान बनाने के लिए, आपको सावधानी बरतनी चाहिए कि आप क्या खाते हैं। माॅनसून में यह और भी जरूरी हो जाता है।

माॅनसून में कच्ची सब्जियां खाने से बचें क्योंकि नमी वाली हवा के संपर्क में रहने से उनमें बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो डाइजेशन संबंधी समस्याओं को बढ़ाते हैं।

माॅनसून में आपको पत्तेदार सब्जियाँ, मीट और दही खाने से भी बचना चाहिए। ये आपके मेटाबाॅलिज्म को धीमा कर देते हैं।

7. Life-Style में करें बदलाव

लाइफ स्टाइल में सुधार करने से ही हमारा शरीर कई बीमारियों से खुद को बचा लेता है। आयुर्वेद सुझाव देता है कि दिन में झपकी न लें, क्योंकि इससे डाइजेशन और मेटाबाॅलिज्म दोनों धीमे हो जाते हैं।

माॅनसून में भारी बारिश के दिनों में अपने आप को गर्म रखें क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपका शरीर बैक्टीरियल या वायरल हमलों के लिए अधिक संवेदनशील हो जाएगा।

8. पका हुआ खाना चुनें

यूं तो सलाद सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। लेकिन माॅनसून में कच्चे सलाद को खाना बीमार भी कर सकता है। गुनगुने पानी में अच्छे से धोकर ही सलाद खाएं।

माॅनसून में ठंडा या बासी खाने के बजाय गर्म, ताजा पका भोजन ही खाएं। भाप से भरा गर्म खाना बैक्टीरिया या वायरस को पनपने से रोकता है।

9. फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं, Excercise करें

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अपनी रुटीन लाइफ में फिजिकल एक्टिविटी का समय बढ़ा दें। इससे आपको डाइजेशन और मेटाबाॅलिज्म रेट बढ़ाने में जबरदस्त मदद मिलेगी। 30 से 45 मिनट रोज़ाना तेज़ कदम से वॉक करें । 10 मिनट रनिंग को रूटीन का हिस्सा बनायें।

रोज कुछ देर हाई इंटेसिटी वाली कसरत को अपने लाइफ का हिस्सा बनाएं। इससे आपका मेटाबाॅलिज्म पूरे दिन तक बढ़ा रह सकता है।

10. Street Food खाने से बचें

माॅनसून में बारिश के दौरान स्ट्रीट फूड की खुशबू किसी का भी मन ललचा देती है। लेकिन इससे बचना ही आपके लिए बेहतर है। माॅनसून में पानी में गंदगी और बीमारियां फैलाने वाले कीटाणु तेजी से फैलते हैं।

आमतौर पर स्ट्रीट फूड में साफ पानी इस्तेमाल न होने से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

11. Grilled या रोस्टेड खाना चुनें

डीप-फ्राइड स्नैक्स के बजाय ग्रिल्ड या रोस्टेड खाने का ही चुनाव करें। ये हेल्दी तो होते ही हैं इनसे माॅनसून के दौरान होने वाली डाइजेशन संबंधी बीमारियों की आशंका भी कम होती है।

आखिर में

माॅनसून के दौरान मौसम में होने वाले उतार-चढ़ाव से कई हेल्थ इश्यूज होते हैं। माॅनसून में ही सेहत संबंधी जोखिम भी बढ़ जाते हैं जिन्हें हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं।

इसलिए यह बेहद जरूरी है कि हम माॅनसून में खास ख्याल रखें। हेल्दी व न्यूट्रिशनल डाइट से ही हम अपने शरीर को मजबूत बनाते हैं।

इसलिए अपने शरीर के मेटाबॉलिज्म रेट को बढ़ावा देने के लिए सही, साफ और पौष्टिक चीजें ही खाएं।

याद रखें मेटाबाॅलिज्म के लगातार धीमा होने पर आपका शरीर कई इशारे देता है। जिस पर ध्यान देना हर किसी के लिए बेहद जरूरी है।

डिस्क्लेमर

डियर रीडर्स, इस आर्टिकल में दी गई जानकारी आपको सेहत के लिए अवेयर करने के लिए है। यह तमाम जानकारी कई रिपोर्ट्स पर बनी है। यह किसी भी तरह से कभी भी आपके लिए दवा या इलाज का विकल्प नहीं बन सकती। अपनी फिटनेस और हेल्थ इश्यूज को देखते हुए पहले अपने हेल्थ एक्सपर्ट से कंसल्ट जरूर करें।

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